संयुक्त राष्ट्र महासचिव चुनाव 2026: प्रक्रिया, शक्ति-संतुलन और वैश्विक शासन की नई दिशाएँ
(अकादमिक विश्लेषण, नवम्बर 2025)
संयुक्त राष्ट्र अपने 79वें वर्ष में निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। नवम्बर 2025 में सुरक्षा परिषद और महासभा अध्यक्ष द्वारा जारी संयुक्त पत्र के साथ 2026 के महासचिव चुनाव की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। वर्तमान महासचिव एंतोनियो गुटेरेश 31 दिसम्बर 2026 को अपने दूसरे कार्यकाल के साथ पद छोड़ेंगे, और उनके उत्तराधिकारी का चयन केवल प्रशासनिक घटना नहीं होगा—यह वैश्विक शासन की प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के भविष्य की दिशा तय करेगा।
1. चयन प्रक्रिया: पारदर्शिता का उभरता मॉडल
2016 के सुधारों के बाद महासचिव चयन ने पहली बार व्यापक सार्वजनिकता और जवाबदेही हासिल की थी। 2026 की प्रक्रिया उन मानकों को और विस्तृत रूप में दोहराने वाली है। संकल्प 70/305 (2016) और 76/264 (2022) के तहत:
- सभी उम्मीदवारों को टाउन-हॉल शैली की सार्वजनिक सुनवाई में स्वयं को प्रस्तुत करना होगा।
- उनका विजन स्टेटमेंट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा।
- सिविल सोसाइटी संगठनों व विशेषज्ञ समूहों के साथ संवाद अनिवार्य होगा।
नामांकन की अंतिम तिथि पारंपरिक रूप से 2026 के मध्य (मई-जून) तक रहने की उम्मीद है। इसके बाद सुरक्षा परिषद जुलाई से सितंबर तक अनौपचारिक स्ट्रॉ पोल आयोजित करेगी, जो यह दर्शाएगी कि P-5 (स्थायी पाँच) किस उम्मीदवार पर सहमत हो सकते हैं। अंतिम नाम महासभा की पुष्टि से ही वैध माना जाएगा।
इस विस्तृत प्रक्रिया से यह स्पष्ट है कि महासचिव अब केवल राजनयिक सहमति का उत्पाद नहीं, बल्कि वैश्विक सार्वजनिक भरोसे का वाहक भी बनते जा रहे हैं।
2. भू-राजनीति और क्षेत्रीय रोटेशन: शक्ति-संतुलन का सूत्र
संयुक्त राष्ट्र का अनौपचारिक क्षेत्रीय रोटेशन ऐतिहासिक रूप से निम्नानुसार रहा है:
| क्षेत्रीय समूह | अब तक महासचिवों की संख्या |
|---|---|
| पश्चिमी यूरोप एवं अन्य (WEOG) | 3 |
| पूर्वी यूरोप | 0 |
| एशिया-प्रशांत | 2 |
| अफ्रीका | 2 |
| लैटिन अमेरिका एवं कैरिबियन | 2 |
पूर्वी यूरोपीय समूह (EEG) ने अब तक एक भी महासचिव नहीं दिया है, इसलिए “क्षेत्रीय अवसर” का तर्क इस चुनाव में स्वाभाविक रूप से मजबूत है। फिर भी भू-राजनीतिक विडंबना यह है कि—अधिकांश संभावित पूर्वी यूरोपीय नाम P-5 की सहमति में अटक सकते हैं, विशेषतः रूस-पश्चिम तनाव के कारण।
दूसरा बड़ा विमर्श महिला महासचिव का है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना से अब तक किसी महिला ने यह पद संभाला नहीं है, और 2025 में यह विमर्श पहले की तुलना में कहीं अधिक मुखर है। लेकिन पूर्वी यूरोप से प्रभावी महिला उम्मीदवारों की कमी “लैंगिक + क्षेत्रीय” संतुलन के समीकरण को जटिल बना देती है।
3. संभावित उम्मीदवार: नवम्बर 2025 तक का परिदृश्य
नीचे सूचीबद्ध नाम इस समय अंतरराष्ट्रीय बहस में प्रमुख हैं—हालाँकि चुनाव की प्रकृति को देखते हुए अंतिम दौड़ अचानक बदल भी सकती है।
-
क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (बुल्गारिया)
IMF की प्रबंध निदेशक; अनुभव, वैश्विक वित्त और बहुपक्षीय संस्थान प्रबंधन—तीनों में मजबूत प्रोफ़ाइल। -
अरोरा मालदोनादो (कोस्टा रिका)
जलवायु नीति में अग्रणी, COP अध्यक्ष के रूप में पहचानी जाती हैं; ग्लोबल साउथ और जलवायु न्याय की समर्थक। -
रेबेका ग्रिन्सपैन (कोस्टा रिका)
UNCTAD महासचिव; अंतरराष्ट्रीय आर्थिक शासन और वैश्विक व्यापार पर सुदृढ़ पकड़। -
एलिसिया बार्सेना (मेक्सिको)
लैटिन अमेरिकी क्षेत्र में आर्थिक नीति और विदेश नीति दोनों में महत्वपूर्ण अनुभव। -
फुमजिले म्लाम्बो-न्गुका (दक्षिण अफ्रीका)
लैंगिक समानता एवं सामाजिक विकास पर गहरी भूमिका; UNAIDS की नेतृत्वकारी आवाज़। -
मारिया फर्नांडा एस्ट्पिनल (कोलम्बिया)
पर्यावरण नीति और वैश्विक जलवायु संवाद में अग्रणी विशेषज्ञ।
पूर्वी यूरोप से अब तक किसी महिला दावेदार का उभरकर न आना यह संकेत देता है कि दावेदारी का भूगोल और जेंडर विमर्श अगले महीनों में पुनर्संयोजित हो सकते हैं।
4. 2027–2031 का एजेंडा: नया महासचिव किन चुनौतियों के केंद्र में होगा
आने वाला कार्यकाल संयुक्त राष्ट्र इतिहास के सबसे कठिन वैश्विक संदर्भों में से एक में शुरू होगा। प्रमुख चुनौतियाँ:
(क) युद्धोत्तर विश्व व्यवस्था और P-5 का विभाजन
यूक्रेन युद्ध, मध्य-पूर्व तनाव, और एशिया-प्रशांत में बढ़ती प्रतिस्पर्धा संयुक्त राष्ट्र को “महासत्ता-प्रतिस्पर्धा के बीच मध्यस्थ” की भूमिका में धकेल रहे हैं।
महासचिव को एक ऐसा व्यक्तित्व होना होगा जो:
- P-5 की रणनीतिक संवेदनशीलताओं को समझे,
- और साथ ही छोटे एवं मध्यम देशों की आवाज़ को संरक्षित कर सके।
(ख) जलवायु संकट का निर्णायक दशक
1.5°C की सीमा को बचाने के लिए 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन को आधे से नीचे लाना होगा। नया महासचिव जलवायु वित्त—विशेषकर लॉस एंड डैमेज फंड—को प्राथमिकता देने के दबाव में होगा।
(ग) कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल शासन
AI के नियमन, डेटा संप्रभुता, और डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए संयुक्त राष्ट्र एक वैश्विक ढांचा बनाने की कोशिश में है। अगला महासचिव इस उभरते क्षेत्र में वैश्विक नियम-निर्माण का नेतृत्व कर सकता है।
(घ) कर्ज़ संकट और विकासशील देशों का भविष्य
अफ्रीका और छोटे द्वीपीय राज्यों में बढ़ता कर्ज़ संकट विकास की गति को बाधित कर रहा है। वैश्विक आर्थिक संस्थानों में सुधार और ऋण-पुनर्गठन की नई व्यवस्था बनाना अनिवार्य होगा।
(ङ) संयुक्त राष्ट्र सुधार
सुरक्षा परिषद विस्तार और बहुपक्षीय संस्थागत सुधार वर्षों से ठहराव में हैं। अगला महासचिव सुधारों के राजनीतिक और तकनीकी दोनों पक्षों को गति देने की अपेक्षा से घिरा होगा।
5. निष्कर्ष: 2026 का चुनाव और संयुक्त राष्ट्र की वैधता का प्रश्न
आगामी चुनाव केवल नए महासचिव का चयन नहीं है, बल्कि यह तय करेगा कि संयुक्त राष्ट्र 21वीं सदी की बदलती शक्ति-व्यवस्था और वैश्विक संकटों के बीच अपनी प्रासंगिकता कैसे बनाए रखेगा।
यदि संस्था 2030 एजेंडा, जलवायु न्याय, डिजिटल शासन, और वैश्विक शांति संरचनाओं को प्रभावी बनाना चाहती है तो उसे ऐसा नेतृत्व चुनना होगा जो:
- कूटनीति और सार्वजनिक विश्वास दोनों में सक्षम हो,
- P-5 के बीच सेतु बना सके,
- और साथ ही ग्लोबल साउथ के लिए विश्वसनीय आवाज़ बन सके।
अगले बारह महीने विश्व कूटनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे—क्योंकि यह चुनाव केवल शीर्ष पद की प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि बहुपक्षीय व्यवस्था के भविष्य का मूल्यांकन है।
With Reuters Inputs
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